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उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न हुए नगर निकाय चुनावों के परिणाम सामने आ चुके हैं। इन चुनावों में 100 नगर निकायों के लिए मतदान हुआ था, जिसमें 11 नगर निगम भी शामिल थे। मतगणना के बाद विभिन्न पदों के लिए विजेताओं की घोषणा की गई है।
चुनाव परिणामों का सारांश:
नगर निगम मेयर पद:
- भाजपा ने 11 में से 8 नगर निगमों में मेयर पद पर जीत हासिल की है।
- कांग्रेस ने 1 नगर निगम में सफलता पाई है।
- 2 नगर निगमों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।
- नगर पालिका अध्यक्ष पद:
- - भाजपा ने 46 में से 4 सीटों पर जीत दर्ज की है और 3 पर बढ़त बनाई है।
- - कांग्रेस ने 4 सीटों पर जीत हासिल की है और 4 पर आगे चल रही है।
- - निर्दलीय उम्मीदवारों ने 1 सीट जीती है और 9 पर बढ़त बनाई है।
नगर पंचायत अध्यक्ष पद:
- - भाजपा ने 43 में से 13 सीटों पर जीत दर्ज की है।
- - कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल की है और 3 पर बढ़त बनाई है। - निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटें जीती हैं और 5 पर आगे चल रहे हैं।
महत्वपूर्ण विजेताओं की सूची:
- देहरादून नगर निगम: भाजपा प्रत्याशी सौरभ थपलियाल ने मेयर पद पर जीत हासिल की।
- - कोटद्वार नगर निगम: भाजपा प्रत्याशी शैलेंद्र सिंह रावत ने मेयर पद जीता।
- - रुड़की नगर निगम: भाजपा की अनीता देवी अग्रवाल ने मेयर पद पर विजय प्राप्त की।
- - श्रीनगर नगर निगम: निर्दलीय उम्मीदवार आरती भंडारी ने मेयर पद जीता।
- - काशीपुर नगर निगम: भाजपा के दीपक बाली ने मेयर पद पर जीत दर्ज की।
चुनाव परिणामों का विश्लेषण:
इन चुनावों में भाजपा ने नगर निगमों में प्रमुखता से जीत हासिल की है, जबकि नगर पालिका और नगर पंचायतों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी महत्वपूर्ण सफलता पाई है। कांग्रेस ने भी कुछ क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, लेकिन कुल मिलाकर भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है।
चुनाव प्रक्रिया और मतदान प्रतिशत:
चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार मतदान प्रतिशत में पिछले चुनावों की तुलना में कमी आई है। 2018 में हुए नगर निकाय चुनाव में 69.79% मतदान हुआ था, जबकि इस बार 65.41% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मतगणना प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही और सभी परिणाम समय पर घोषित किए गए।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव 2025 के परिणामों ने राज्य की राजनीतिक स्थिति में भाजपा की मजबूत पकड़ को दर्शाया है। हालांकि, निर्दलीय उम्मीदवारों की सफलता ने यह भी संकेत दिया है कि स्थानीय स्तर पर मतदाता विकल्पों की तलाश में हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि ये परिणाम राज्य की राजनीति को कैसे प्रभावित करेंगे।
